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विद्वान् बहुश्रुतः
दूसरों की बात को ध्यानपूर्वक सुनने की आदत डालना।
दूसरे के द्वारा किए गए उच्चारण को सुनकर शुद्ध उच्चारण का अनुकरण करना।
शुद्ध सामग्री का अर्थ समझने की योग्यता विकसित करना।
वक्ता के मनोभावों को समझने में निपुण बनना।
ध्वनियों का विभेदीकरण करने की क्षमता विकसित करना।
छात्रों में शब्द भण्डार की वृद्धि करना।
श्रुतिमधुरं सम्भाषणम्
अपने भावों, विचारों, अनुभवों को सरलतापूर्वक, स्पष्ट ढंग से व्यक्त करने के योग्य बनना ।
शुद्ध उच्चारण, उचित स्वर, उचित गति एवं हाव-भाव के साथ बोलना सीखना ।
निसंकोच होकर अपने विचारों को व्यक्त करने के योग्य बनना ।
परस्पर वार्तालाप करने के योग्य बनना ।
धारा प्रवाह बोलने के योग्य बनना ।
माधुर्यमक्षरव्यक्तिः पदच्छेदस्तु सुस्वरः।
धैर्यं लयसमर्थं च षडेते पाठका गुणाः॥
वर्णमाला के सभी अक्षरों को पहचान कर पढ़ना ।
पठित सामग्री के विचारों को समझाना ।
पठित सामग्री पर अपना मंतव्य स्थिर करना ।
लेखक के मनोभावों को स्पष्ट ढंग से समझने की योग्यता विकसित करना ।
यः पठति लिखति पश्यति परिपृच्छति पण्डितानुपाश्रयति ।
तस्य दिवाकरकिरणैर्नलिनीदलमिव विकास्यते बुद्धिः ॥
वर्णों को ठीक-ठीक लिखना सीखना।
सुंदर लेखों का अभ्यास करना।
शुद्ध अक्षर विन्यास का ज्ञान कराना।
वाक्य रचना के नियमों से परिचित होना।
विचारों को तार्किक क्रम में प्रस्तुत करना।
अनुभवों का लेखन करना।
लिपि, शब्द, मुहावरों का ज्ञान होना।